सुप्रीम कोर्ट में हंगामा! चीफ जस्टिस ने वकील को अदालत से बाहर निकाला!

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सुप्रीम कोर्ट में हंगामा! चीफ जस्टिस ने वकील को अदालत से बाहर निकाला!

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों को मिली कड़ी चेतावनी

आज का दिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक बड़े नाटक से भरा रहा जब देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने एक वकील को जमकर फटकार लगाई। यह पूरा घटनाक्रम नीट (NEET) परीक्षा में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान हुआ। 

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील नरेंद्र हुड्डा अपनी दलीलें पेश कर रहे थे, तभी एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील मैथ्यूज नेंदूपरा हस्तक्षेप करने लगे। चीफ जस्टिस ने तत्काल कड़ा रुख अपनाते हुए नेंदूपरा को फटकार लगाई और स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “मैं वकीलों को इस अदालत में प्रक्रिया तय करने की अनुमति नहीं दे सकता।”

अदालत में वरिष्ठता का दावा

पीठ के एक सवाल का जवाब देते हुए नेंदूपरा ने कहा कि वह अदालत के समक्ष सभी वकीलों में वरिष्ठ हैं। “मैं जवाब दे सकता हूं। मैं एमिकस हूं।” इस पर सीजेआई ने जवाब देते हुए कहा, “मैंने कोई एमिकस नियुक्त नहीं किया है।” इसके बाद भी वकील यहीं नहीं रुके और कहा, “अगर आप मेरा सम्मान नहीं करेंगे तो मैं चला जाऊंगा।”

चीफ जस्टिस का तीखा जवाब

इस पर सीजेआई ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “नेंदूपरा मैं आपको चेतावनी दे रहा हूं। आप गैलरी में बात नहीं करेंगे। मैं कोर्ट का इंचार्ज हूं।

 कृपया सिक्योरिटी को बुलाएं, उन्हें कोर्ट से बाहर निकालें।” इस पर वकील ने जवाब दिया, “मैं जा रहा हूं। मैं जा रहा हूं।” सीजेआई ने कहा, “आपको ऐसा कहने की जरूरत नहीं है, आप जा सकते हैं। 

मैंने पिछले 24 सालों से न्यायपालिका देखी है। मैं वकीलों को इस अदालत में प्रक्रिया तय करने की अनुमति नहीं दे सकता।”

कोर्ट रूम से बाहर गए मैथ्यूज, वापस आकर दिया बाइबिल का उद्धरण

वकील मैथ्यूज नेंदूपरा इसके बावजूद भी नहीं रुके। उन्होंने कहा, “मैंने इसे 1979 से देखा है।” इस पर सीजेआई ने चेतावनी दी कि उन्हें निर्देश जारी करना होगा। सीजेआई ने कहा, “मुझे कुछ ऐसा जारी करना पड़ सकता है जो उचित नहीं है। 

आप किसी अन्य वकील को बाधित नहीं करेंगे।” आखिरकार वकील चले गए और बाद में अदालत में लौटे। वकील ने कहा, “मुझे खेद है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मेरे साथ गलत व्यवहार किया गया।” फिर उन्होंने कहा कि वह सीजेआई को इस “अपमान” के लिए “माफ” करते हैं 

और बाइबिल का उद्धरण देते हुए कहा, “फादर, उन्हें माफ कर दो, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।”

वकील मैथ्यूज के आचरण पर पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब मैथ्यूज नेंदूपरा को सीजेआई ने अदालत कक्ष में उनके आचरण के लिए फटकार लगाई है। इसी साल मार्च में चुनावी बॉन्ड मामले में सुनवाई के दौरान वकील ने हस्तक्षेप करना चाहा और टोकते रहे। 

एक मौके पर सीजेआई ने कहा, “मुझ पर चिल्लाओ मत… यह हाइड पार्क कोर्नर मीटिंग नहीं है, आप अदालत में हैं। आप एक आवेदन दायर करना चाहते हैं, आवेदन दायर करें। 

आपको सीजेआई के रूप में मेरा निर्णय मिल गया है, हम आपकी बात नहीं सुन रहे हैं। यदि आप कोई आवेदन दाखिल करना चाहते हैं तो उसे ईमेल पर भेजें। इस अदालत में यही नियम है।”

न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना है जरूरी

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का यह कड़ा रुख न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यह घटना यह दर्शाती है कि न्यायपालिका में अनुशासन और मर्यादा का कितना महत्व है। 

चीफ जस्टिस का स्पष्ट संदेश था कि अदालत की प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

निष्कर्ष

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि अदालत की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता या हस्तक्षेप को सख्ती से रोका जाए। 

यह घटना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के प्रति उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। न्यायपालिका के प्रति इस तरह के कड़े रुख की आवश्यकता समय-समय पर महसूस की जाती है, ताकि न्यायिक प्रणाली में विश्वास और आस्था बनी रहे।

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