क्या Keshav Prasad Maurya बनेंगे UP के अगले मुख्यमंत्री? BJP में बढ़ते OBC नेताओं का दबदबा
लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की करारी शिकस्त के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री Yogi Adityanath और उप मुख्यमंत्री Keshav Prasad Maurya के बीच सत्ता संघर्ष अब खुलकर सामने आ चुका है। UP के उप मुख्यमंत्री Keshav Prasad Maurya का कैंप इन दिनों पार्टी के लिए नई चुनौती बनता दिख रहा है, क्योंकि वे BJP की OBC राजनीति को फिर से जीवंत करने की कोशिश में जुटे हैं।
Keshav Prasad Maurya का ‘OBC कार्ड’: क्या है इसके पीछे का मकसद?
Keshav Prasad Maurya ने OBC (Other Backward Classes) नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। उनके कैंप कार्यालय में राज्य के विभिन्न जिलों से OBC समुदाय के प्रतिनिधियों का आना-जाना लगा रहता है। उनकी तस्वीरें Maurya सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। इसका मकसद स्पष्ट है – पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल करना।
Maurya के इस कदम को BJP की राजनीतिक रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि पार्टी इस समय गैर-यादव OBC वोट बैंक को फिर से हासिल करने के लिए बेताब है। हाल ही में OBC लीडर Subhaspa मुखिया Om Prakash Rajbhar और Nishad Party के अध्यक्ष Sanjay Nishad के साथ Maurya की मुलाकात सुर्खियों में रही। यह स्पष्ट संकेत है कि Maurya BJP में OBC की आवाज बनकर उभरना चाहते हैं।
गैर-यादव OBC की राजनीति: BJP की हार का कारण या Maurya की ताकत?
2024 के लोकसभा चुनावों में BJP की हार का एक बड़ा कारण गैर-यादव OBC और गैर-जाटव दलितों का पार्टी से खिसकता हुआ समर्थन बताया जा रहा है। CSDS के चुनाव बाद सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि पार्टी को OBC और दलित वोटों में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा। यह स्थिति BJP के लिए चिंताजनक है, क्योंकि इन वर्गों के समर्थन के बिना उत्तर प्रदेश में जीत हासिल करना बेहद मुश्किल है।
गैर-यादव OBC राजनीति के इस बदलते समीकरण में Keshav Prasad Maurya की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। उन्होंने हाल ही में Yogi सरकार के खिलाफ आरक्षण से संबंधित चिट्ठी लिखकर इस दिशा में अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया है। यह चिट्ठी यह संकेत देती है कि Maurya ने OBC वोट बैंक को साधने की पूरी योजना बना ली है।
क्या 2027 तक UP को मिलेगा OBC मुख्यमंत्री?
Yogi Adityanath की लोकप्रियता और BJP के भीतर उनकी मजबूत स्थिति के बावजूद, उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले BJP उत्तर प्रदेश में CM पद पर OBC नेता को स्थापित करने पर विचार कर सकती है।
विपक्षी दलों ने ‘संविधान बचाओ’ का नारा देते हुए BJP को बैकफुट पर ला दिया है। इस स्थिति में Keshav Prasad Maurya का दावा है कि एक OBC मुख्यमंत्री ही पार्टी को इस संकट से निकाल सकता है। यदि BJP अगले चुनाव में सत्ता से बाहर हो जाती है, तो पार्टी की रणनीति में OBC फैक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
OBC नेताओं का समर्थन: Yogi के लिए चुनौती या Maurya की चालाकी?
उपमुख्यमंत्री Maurya की रणनीति है कि वे OBC नेताओं के समर्थन के जरिए Yogi Adityanath को चुनौती दे सकें। हाल के दिनों में उन्होंने OBC नेताओं के साथ मुलाकातें बढ़ा दी हैं, जो इस बात का संकेत है कि वे पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं।
इसके अलावा, हाल ही में Maurya ने आरक्षण से संबंधित मामलों में Yogi सरकार को चुनौती देने के लिए पत्र लिखा है। इसे संयोग मानना गलत होगा। इस कदम को Maurya की राजनीतिक चाल के रूप में देखा जा सकता है, जो उन्हें OBC समुदाय के नेता के रूप में उभारने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या OBC कार्ड से Maurya को मिलेगी सफलता?
Keshav Prasad Maurya के लिए OBC कार्ड खेलना कितना सफल होगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन यह साफ है कि BJP के भीतर चल रही इस खींचतान का असर पार्टी की छवि पर पड़ सकता है। यदि Maurya की रणनीति सफल होती है, तो यह BJP के लिए बड़ा बदलाव ला सकती है।
अंततः, उत्तर प्रदेश की राजनीति में Keshav Maurya और Yogi Adityanath के बीच का संघर्ष इस बात का संकेत है कि राज्य की सियासत में बड़े बदलाव की तैयारी हो रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि BJP इस चुनौती को कैसे संभालती है और आने वाले चुनावों में क्या रणनीति अपनाती है।
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