Haryana में BSP-INLD Alliance: चुनावी मैदान में बड़ा धमाका!
मायावती की नई रणनीति से Haryana की राजनीति में हलचल
Haryana की सियासी हवा में एक बार फिर हलचल मच गई है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने upcoming विधानसभा चुनाव की रणनीति पर बड़ा खुलासा किया है। मायावती राज्य में पांचवीं बार गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगी। हालांकि, राज्य की politics में मायावती और BSP के लिए alliances ज्यादा successful नहीं रहे हैं, लेकिन इस बार मायावती ने इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के नेता अभय सिंह चौटाला के साथ हाथ मिलाया है।
BSP-INLD गठबंधन का नया अध्याय
माना जा रहा है कि 11 जुलाई को मायावती और अभय सिंह चौटाला एक साथ alliance का औपचारिक ऐलान करेंगे। करीब 6 साल बाद दोनों political दल एक बार फिर साथ आ रहे हैं। Haryana के सियासी इतिहास को देखें तो INLD के अलावा BSP के अन्य सभी गठबंधन असफल रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी मानी जाती है कि BSP चीफ मायावती ने Haryana को कभी priority नहीं दी।
जातीय समीकरण और वोट बैंक की गणना
Haryana में जातीय समीकरणों की बात करें तो 21 फीसदी दलित और 22 फीसदी जाट हैं। BSP और INLD दोनों की निगाहें इन्हीं 43 फीसदी votes पर हैं। इसी साल 4 जून को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में INLD को 1.74 फीसदी और BSP को 1.28 फीसदी मत मिले थे।
तीसरे मोर्चे की तैयारी
इस बार BSP और INLD मिलकर Congress और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ तीसरा मोर्चा खड़ा करने की कोशिश में हैं। यह गठबंधन Haryana की politics में क्या रंग लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
BSP का राजनीतिक सफर: संघर्ष और चुनौतियां
BSP का Haryana में अब तक का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। साल 1998 में पहली बार INLD और BSP के बीच गठबंधन हुआ था, तब BSP ने अंबाला सीट जीती थी। इसके बाद कुछ विधानसभा चुनावों में BSP के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
महत्वपूर्ण घटनाएँ और आंकड़े
साल 2009 में BSP ने कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ alliance किया, लेकिन यह गठबंधन भी ज्यादा दिन नहीं चला। फिर साल 2018 में INLD से गठबंधन हुआ, जो जल्द ही टूट गया। साल 2019 में BSP ने BJP के पूर्व नेता राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन यह भी चुनाव के बाद खत्म हो गया।
BSP का विधानसभा चुनाव प्रदर्शन
हरियाणा विधानसभा की बात करें तो BSP का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। साल 2000 में 83 सीटों पर लड़ने वाली BSP को सिर्फ 1 सीट मिली थी। साल 2005 में 84 के मुकाबले 1, साल 2009 में 86 के मुकाबले 1, साल 2014 में 87 के मुकाबले 1 सीट मिली थी। वहीं, साल 2019 में BSP का खाता भी नहीं खुला, जबकि पार्टी ने 87 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे।
INLD का सफर: आरंभिक सफलता और वर्तमान स्थिति
INLD की स्थापना के चार साल बाद, वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 47 सीटें जीती थीं। वर्ष 2005 में 9, वर्ष 2009 में 31, वर्ष 2014 में 19, और वर्ष 2019 में केवल 1 सीट जीत पाई। INLD को विधानसभा चुनाव 2000 में 29.6%, वर्ष 2005 में 26.8%, वर्ष 2009 में 25.8%, वर्ष 2014 में 24.2%, और वर्ष 2019 में 2.5% votes मिले थे।
लोकसभा चुनावों में INLD का प्रदर्शन
लोकसभा चुनावों की बात करें तो INLD ने साल 1999 के लोकसभा चुनाव में 5, साल 2004 में 0, 2009 में 0, 2014 में 2, और 2019 में 0 सीटें जीती थीं। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में INLD को 28.7%, वर्ष 2004 में 22.4%, वर्ष 2009 में 15.8%, वर्ष 2014 में 24.4%, और वर्ष 2019 में 1.90% votes मिले थे।
आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन का प्रभाव
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि upcoming विधानसभा चुनाव में BSP और INLD का गठबंधन क्या रंग दिखाएगा और BJP एवं Congress के लिए कितनी बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा। Haryana की politics में इस गठबंधन का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह गठबंधन Haryana की politics में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है।
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