बिहार के रुपौली में निर्दलीय शंकर सिंह की धमाकेदार जीत, जानिए कैसे हारी JDU और RJD
शंकर सिंह की ऐतिहासिक जीत के पीछे की कहानी
बिहार की रुपौली विधानसभा उपचुनाव में Independent candidate शंकर सिंह ने इतिहास रच दिया है। शंकर सिंह को इस चुनाव में 68,000 से ज्यादा वोट मिले हैं, जिससे उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कलाधर मंडल को 8,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया।
जबकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की बीमा भारती को 37,451 वोट मिले हैं। शंकर सिंह की यह जीत सामान्य नहीं है; इस जीत के कई मायने हैं। शंकर सिंह की यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने यह कारनामा JDU के गढ़ में किया है।
15 सालों से JDU के कब्जे में रही थी रुपौली सीट
रुपौली विधानसभा सीट पिछले 15 सालों से JDU के कब्जे में थी। इस उपचुनाव में इस सीट से अभी तक विधायक रही बीमा भारती को हराना कहीं से भी आसान नहीं था। लेकिन शंकर सिंह ने यह करके दिखाया। अब ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर रुपौली जैसे JDU के अभेद्य किले को भेदने वाले शंकर सिंह आखिर हैं कौन? और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा है?
शंकर सिंह का शुरुआती जीवन और राजनीतिक सफर
अगर शंकर सिंह के शुरुआती जीवन की बात करें तो वह राजनीति में आने से पहले इस इलाके में एक बाहुबली के तौर पर जाने जाते थे। यही वजह है कि आज शंकर सिंह की छवि एक बाहुबली नेता की है। शंकर सिंह की राजनीति में एंट्री 2005 में हुई। उन्होंने उस दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बनकर विधानसभा भी पहुंचे। रुपौली इलाके में अगड़ी जाति के बीच उनकी छवि एक रॉबिन हुड की है।
निर्दलीय पर्चा भरने का कारण
शंकर सिंह इस बार के उपचुनाव में बतौर Independent candidate चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की बीमा भारती और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कलाधर मंडल को हराने की चुनौती थी। शंकर सिंह के करीबियों की मानें तो उन्हें अपनी जनता पर पूरा भरोसा था। उन्हें मालूम था कि अगर वह इस बार के चुनाव में निर्दलीय भी मैदान में उतरे तो उन्हें जीतने से कोई नहीं रोक सकता। जनता पर उनका यह विश्वास ही था जिसकी बदौलत वह इस बार के चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़े और ना सिर्फ लड़े बल्कि इस सीट को अपने नाम भी किया।
पप्पू यादव का समर्थन और बीमा भारती की हार
रुपौली उपचुनाव से पहले पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने RJD उम्मीदवार बीमा भारती को अपना समर्थन देने का ऐलान किया था। पप्पू यादव का समर्थन मिलने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि इस उपचुनाव में बीमा भारती का जीतना अब लगभग तय है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि पप्पू यादव सीमांचल क्षेत्र के चर्चित बाहुबली हैं और इस लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्णिया सीट को बड़े अंतर से जीता भी है।
शंकर सिंह ने तोड़ा पप्पू यादव का तिलिस्म
ऐसे में यह तय था कि पप्पू यादव जिस भी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे जनता उसके लिए खासतौर पर मतदान करेगी। लेकिन शंकर सिंह ने अपनी जीत के साथ ही पप्पू यादव के इस तिलिस्म को भी तोड़ दिया। जनता ने शंकर सिंह को जिताने के साथ ही यह भी बता दिया कि अब उन्हें बीमा भारती से कहीं ज्यादा भरोसा शंकर सिंह पर है।
शंकर सिंह की जीत के पीछे के फैक्टर
शंकर सिंह की जीत के पीछे कई फैक्टर हैं। सबसे पहले तो उनकी बाहुबली छवि, जिसके चलते वह इलाके में रॉबिन हुड के रूप में जाने जाते हैं। दूसरा, उनके द्वारा किए गए development कार्यों और जनता से उनका गहरा जुड़ाव। इसके अलावा, JDU और RJD के नेताओं के खिलाफ जनता का गुस्सा भी शंकर सिंह की जीत का एक महत्वपूर्ण कारण रहा।
चुनाव प्रचार और रणनीति
शंकर सिंह ने इस बार के उपचुनाव में एक मजबूत election campaign और strategy अपनाई। उन्होंने गांव-गांव जाकर जनता से सीधा संवाद किया और उनकी समस्याओं को समझा। इसके अलावा, उन्होंने social media का भी बेहतरीन उपयोग किया, जिससे उनकी पहुंच युवाओं तक हो सकी।
निष्कर्ष
शंकर सिंह की इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है कि अगर नेता अपने काम और जनता के प्रति ईमानदार रहें तो जीत निश्चित है। शंकर सिंह ने JDU और RJD के मजबूत उम्मीदवारों को हराकर यह दिखा दिया कि जनता का भरोसा और समर्थन ही सबसे बड़ा हथियार है।
शंकर सिंह की यह जीत सिर्फ उनकी नहीं बल्कि उन सभी लोगों की जीत है जिन्होंने अपने विश्वास और समर्थन के साथ उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। अब देखना यह है कि शंकर सिंह आगे अपने क्षेत्र के विकास के लिए क्या-क्या कदम उठाते हैं और जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं।
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