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केरल में भूस्खलन से तबाही: केंद्र की चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार क्यों नहीं हुई ‘अलर्ट’?
*भूस्खलन की चेतावनी के बावजूद कार्रवाई में देरी*
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में एक अहम बयान दिया, जिसमें उन्होंने केरल में हुए विनाशकारी भूस्खलन की घटना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केरल सरकार को इस आपदा से सात दिन पहले ही पूर्व चेतावनी दे दी गई थी। इसके साथ ही, 23 जुलाई को एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की नौ टीमों को केरल भेजा गया था। अगर राज्य सरकार समय पर सतर्क हो जाती, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं।
शाह ने कहा कि चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने पूर्व चेतावनी तंत्र के बारे में बात की थी, और उन्होंने इस संदर्भ में पूरे देश को यह जानकारी देना जरूरी समझा कि केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को ही केरल सरकार को चेतावनी दी थी। उन्होंने यह भी बताया कि 24 और 25 जुलाई को फिर से चेतावनी दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश हो सकती है, जिससे भूस्खलन की संभावना है।
*केरल सरकार की विफलता पर सवाल*
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्व चेतावनी के बावजूद केरल सरकार ने लोगों को सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं पहुँचाया? उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की टीमों के केरल पहुँचने के बाद भी यदि राज्य सरकार ने ‘अलर्ट’ हो कर काम किया होता, तो इतनी जानें नहीं जातीं। उन्होंने ओडिशा और गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकारों ने पूर्व चेतावनी का सही इस्तेमाल किया और बड़ी आपदाओं को टालने में सफलता पाई।
शाह ने कहा कि 2014 के बाद भारत सरकार ने पूर्व चेतावनी तंत्र पर 2000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और देश में सात दिन पहले चेतावनी देने की प्रणाली विकसित की गई है। इस प्रणाली का उद्देश्य समय पर राज्यों को संभावित आपदाओं के बारे में जानकारी देना है ताकि वे जरूरी कदम उठा सकें।
*चेतावनी की अनदेखी कैसे बनी आपदा का कारण?*
अमित शाह ने सदन में कहा कि केरल में हुए भूस्खलन में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति वह गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार ने पूर्व चेतावनी को गंभीरता से लिया होता, तो इस त्रासदी से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा, “हमारी चेतावनी को पढ़िये, इसे नजरअंदाज मत कीजिये।”
शाह ने कहा कि देश के कई राज्यों ने पूर्व चेतावनी का सही उपयोग करके आपदाओं में हताहतों की संख्या को कम किया है। उन्होंने विशेष रूप से ओडिशा और गुजरात का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से चक्रवात की चेतावनी के आधार पर इन राज्यों ने प्रभावी कदम उठाए और जान-माल की क्षति को न्यूनतम रखा।
*केंद्र और राज्य के बीच समन्वय की कमी*
गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को एनडीआरएफ की नौ टीमें केरल भेज दी थीं, क्योंकि भूस्खलन की आशंका थी। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि जब टीमें वहां पहुंचीं तो राज्य सरकार ने संवेदनशील इलाकों से लोगों को स्थानांतरित क्यों नहीं किया? शाह ने सदस्यों की टोकाटाकी पर कहा कि लोगों को पहले नहीं, बल्कि बाद में स्थानांतरित किया गया।
उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसी भी तरह की राजनीति नहीं करना चाहती, बल्कि यह समय केरल की सरकार और वहां की जनता के साथ खड़े रहने का है। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार केरल की जनता और वहां की सरकार के साथ हर स्थिति में खड़ी रहेगी।
*पूर्व चेतावनी तंत्र की मजबूती*
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार ने 2016 में पूर्व चेतावनी तंत्र की परियोजना शुरू की थी और आज यह दुनिया के सबसे बेहतरीन तंत्रों में से एक है। उन्होंने बताया कि भारत उन चार देशों में शामिल है, जो सात दिन पहले चेतावनी देने में सक्षम हैं। यह तंत्र वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, जिसे सांसदों समेत आम जनता भी देख सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग भारतीय साइट्स की बजाय विदेशी साइट्स पर निर्भर रहते हैं, लेकिन पूर्व चेतावनी के लिए हमें अपनी साइट्स पर ध्यान देना होगा। भारत सरकार ने पूर्व चेतावनी देने के लिए मौसम विभाग की साइट्स को भी अधिक सुलभ बनाया है, ताकि लोग समय रहते सतर्क हो सकें।
*वायनाड की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग*
वायनाड भूस्खलन की घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर कुछ सदस्यों ने सरकार पर सवाल उठाए। इस पर गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन कोष) की 10 प्रतिशत राशि बिना किसी अनुमति के खर्च कर सकती है। बाकी 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार खर्च की जाती है, ताकि इसका दुरुपयोग न हो।
उन्होंने यह भी बताया कि 2014 से 2024 के बीच बंगाल को आपदा राहत के लिए 6,244 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। राज्य सरकार ने अभी तक 4,619 करोड़ रुपये का हिसाब दिया है, जिसे केंद्र ने जारी कर दिया है।
*राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर काम करने का समय*
अमित शाह ने अपने भाषण के अंत में कहा कि यह समय राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर केरल की जनता के साथ खड़े रहने का है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगी और हर संभव मदद मुहैया कराएगी। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीआरएफ की टीमें केरल में स्थिति को संभालने के लिए लगातार काम कर रही हैं और आगे भी करती रहेंगी।
इस प्रकार, अमित शाह ने राज्यसभा में केरल भूस्खलन की घटना को लेकर स्पष्ट रूप से राज्य सरकार की विफलता पर सवाल उठाया और केंद्र की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने सभी राज्यों से अपील की कि वे पूर्व चेतावनी का सही उपयोग करें और समय पर कार्रवाई करें ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
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