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12 करोड़ का पुल बिना उद्घाटन के ही ढहा: भ्रष्टाचार या लापरवाही का परिणाम?
अररिया के बकरा नदी पर बना था पुल, विधायक विजय कुमार मंडल ने बताया भ्रष्टाचार का नतीजा
बिहार के अररिया जिले में मंगलवार को बकरा नदी पर बना एक पुल अचानक भरभराकर गिर गया। इस पुल की निर्माण लागत 12 करोड़ रुपये थी और इसका उद्घाटन भी अभी नहीं हुआ था। स्थानीय विधायक विजय कुमार मंडल ने इसे भ्रष्टाचार का नतीजा बताया है। यह पुल सिकटी प्रखंड के पड़रिया घाट पर बना था और इसे सिकटी और कुर्साकांटा प्रखंड को जोड़ने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।
पुल के दो से तीन पिलर अचानक नदी में धंस गए और पुल गिर गया। पुल निर्माण करने वाली एजेंसी के अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे और प्रशासन की टीम भी घटना स्थल पर मौजूद थी।
विधायक विजय कुमार मंडल का आरोप: पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा
स्थानीय भाजपा विधायक विजय कुमार मंडल ने पुल निर्माण के लिए काफी प्रयास किए थे। उन्होंने बताया कि यह पुल पूरी तरह भ्रष्टाचार का नतीजा है। पुल का उद्घाटन होने से पहले ही इसका गिरना कई सवाल खड़े करता है। विजय कुमार मंडल ने आईएएनएस को बताया, “यह पुल दो प्रखंडों को जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम बनता, लेकिन उद्घाटन से पहले ही नदी में समा गया। यह पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।”
निर्माण में खामियां: पिलर जमीन पर गाड़कर तैयार किया गया था
ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा बनाए गए इस पुल के निर्माण में खामियां पाई गई हैं। पिलर को जमीन पर गाड़कर तैयार किया गया था, जो कि तकनीकी दृष्टि से गलत साबित हुआ। इसके अलावा, एप्रोच रोड भी अभी तक नहीं बना था, जिससे पुल की मजबूती और स्थायित्व पर सवाल उठते हैं।
भागलपुर पुल हादसे की याद ताजा: 1710 करोड़ का पुल भी हुआ था ध्वस्त
यह घटना 2023 में बिहार के भागलपुर में हुए एक अन्य पुल हादसे की याद दिलाती है। खगड़िया के अगुवानी घाट पर बने पुल का पिलर नंबर 10, 11, और 12 अचानक गिरकर नदी में बह गया था। इस पुल की लागत 1710 करोड़ रुपये थी और इसे फोरलेन पुल के रूप में तैयार किया जा रहा था।
क्यों होते हैं पुल हादसे? विशेषज्ञों की राय
बिहार में पुल हादसों का सिलसिला जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन हादसों के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
1. *निर्माण सामग्री की गुणवत्ता*: निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे पुल की मजबूती प्रभावित होती है।
2. *तकनीकी खामियां*: निर्माण के दौरान तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया जाता, जिससे पुल अस्थिर हो जाता है।
3. *भ्रष्टाचार*: निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का प्रभाव भी बड़ा होता है। ठेकेदार और अधिकारी मिलकर पैसे की हेराफेरी करते हैं, जिससे निर्माण में खामियां रह जाती हैं।
4. *रखरखाव की कमी*: पुल के निर्माण के बाद उसकी नियमित रूप से जांच और मरम्मत नहीं की जाती, जिससे उसकी हालत खराब हो जाती है।
*भविष्य के लिए सबक: निर्माण में पारदर्शिता और गुणवत्ता की आवश्यकता*
इस तरह के हादसे हमें बताते हैं कि निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकारी एजेंसियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्माण के दौरान सभी तकनीकी मानकों का पालन हो और गुणवत्ता की जांच नियमित रूप से की जाए। इसके अलावा, निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया: निराशा और आक्रोश
इस हादसे के बाद स्थानीय जनता में निराशा और आक्रोश का माहौल है। लोगों का कहना है कि यह पुल उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था और इसके गिरने से उन्हें काफी असुविधा हो रही है। स्थानीय निवासी रामेश्वर यादव ने बताया, “हमने इस पुल के लिए बहुत उम्मीदें लगाई थीं। अब हमें फिर से लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी। यह बहुत दुखद है।”
सरकार की प्रतिक्रिया: जांच का आदेश
सरकार ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच का आदेश दिया है। ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “इस घटना की पूरी जांच होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जनता की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।”
निष्कर्ष: पारदर्शिता और गुणवत्ता की अनदेखी का नतीजा
बकरा नदी पर बने पुल का गिरना एक बार फिर से यह बताता है कि निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता को नजरअंदाज करना कितना महंगा साबित हो सकता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं से सबक लें और भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के उपाय करें। भ्रष्टाचार पर कड़ी निगरानी और तकनीकी मानकों का सख्ती से पालन ही ऐसे हादसों को रोकने का एकमात्र उपाय है।
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