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हाथरस हादसे पर छिड़ी सियासी जंग: मायावती का चौंकाने वाला बयान
मायावती ने भोले बाबा पर साधा निशाना, खुद की जाति के बाबा पर किया अटैक
उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे के बाद सियासत का दौर जारी है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने चौंकाने वाला बयान देते हुए गरीबों को ‘भोले बाबा’ जैसे बाबाओं के अंधविश्वास के बहकावे में न आने की सलाह दी है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मायावती का यह बयान इसलिए भी अहम है
क्योंकि बाबा भी उसी जाति से आते हैं, जिससे मायावती हैं। पूर्व सीएम मायावती ने अपने एक्स अकाउंट पर तीन पोस्ट किए। उन्होंने लिखा, “देश में गरीबों, दलितों व पीड़ितों को अपनी गरीबी व अन्य दुःखों को दूर करने के लिए हाथरस के भोले बाबा जैसे अनेकों बाबाओं के अंधविश्वास व पाखंडवाद के बहकावे में नहीं आना चाहिए, यही मेरी सलाह है।”
मायावती का सेल्फ गोल: गिरता जनाधार और नई चुनौतियां
यूपी में मायावती का जनाधार लगातार गिर रहा है। पिछले कई विधानसभा और हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव इस बात की तस्दीक करते हैं। ऐसे में बसपा को अपने कोर वोटर्स, जो अनुसूचित जाति से आते हैं, उन्हें सहेजने की जरूरत है, लेकिन मायावती का बयान इसे और कठिन बना सकता है।
भोले बाबा पर दिए गए बयान से लाखों अनुसूचित जाति के लोग उनसे नाराज हो सकते हैं। इसे मायावती का सेल्फ गोल ही कहा जाएगा क्योंकि भोले बाबा के ज्यादातर भक्त अनुसूचित जाति से ही आते हैं।
योगी आदित्यनाथ का सेफ गेम: सीधा हमला करने से बचते हुए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भोले बाबा पर अभी तक कोई सीधा हमला नहीं किया है। योगी आदित्यनाथ हाथरस में हादसे के पीड़ितों से मिलने पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने बाबा पर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा। यूपी पुलिस की एफआईआर में भी भोले बाबा का नाम नहीं है।
एफआईआर नहीं होने के सवाल पर सीएम योगी ने कहा कि प्रथम दृष्टया एफआईआर उन पर होती है जिन्होंने कार्यक्रम की अनुमति मांगी थी। इसके बाद इसका दायरा बढ़ता है। निश्चित रूप से जो लोग भी इस घटना के जिम्मेदार होंगे, वो सभी इसके दायरे में आएंगे।
मायावती की मांग: भोले बाबा के खिलाफ सख्त कार्रवाई
सोशल मीडिया पर मायावती ने हाथरस हादसे पर कहा, “बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बताए हुए रास्तों पर चलकर इन्हें सत्ता खुद अपने हाथों में लेकर अपनी तकदीर खुद बदलनी होगी। इन्हें अपनी पार्टी बीएसपी से ही जुड़ना होगा, तभी ये लोग हाथरस जैसे कांडों से बच सकते हैं।
” मायावती ने आगे कहा कि हाथरस कांड में, बाबा भोले सहित अन्य दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को अपने राजनीतिक स्वार्थ में ढीला नहीं पड़ना चाहिए, ताकि आगे लोगों को अपनी जान ना गंवानी पड़े।
हाथरस हादसा: चूक या प्रशासनिक लापरवाही?
हाथरस में भगदड़ दो जुलाई को स्वयंभू संत और उपदेशक नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ के सत्संग के दौरान हुई थी। इसमें 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थीं। एफआईआर के अनुसार, कार्यक्रम में 2.50 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे, जबकि प्रशासन ने केवल 80 हजार लोगों को ही अनुमति दी थी।
एफआईआर के अनुसार, सत्संग आयोजकों ने सबूत छिपाकर तथा बाबा के अनुयायियों की चप्पलें और अन्य सामान पास के खेतों में फेंक कर कार्यक्रम में मौजूद लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की थी। भगदड़ तब मची जब कई श्रद्धालु उपदेशक के पैरों की मिट्टी लेने के लिए दौड़े थे, मानते हुए कि इससे उनकी सभी बीमारियां ठीक हो सकती हैं।
निष्कर्ष: सियासत और धर्म के बीच पिसते लोग
हाथरस का यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं है, यह हमारे समाज में व्याप्त अंधविश्वास और राजनीतिक स्वार्थ की भी कहानी बयां करता है। मायावती और योगी आदित्यनाथ के बयानों से साफ है कि इस घटना का राजनीतिकरण हो रहा है।
जहां एक ओर मायावती ने अपने बयान से अनुसूचित जाति के लोगों को सचेत किया है, वहीं योगी आदित्यनाथ ने संभल कर प्रतिक्रिया दी है। इस बीच, सच्चाई यह है कि इस तरह की घटनाएं तब तक नहीं रुकेंगी जब तक समाज में व्याप्त अंधविश्वास और पाखंडवाद को खत्म नहीं किया जाता।
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