December 23, 2024

अंशुमान सिंह

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा ने दिया सास-ससुर को बड़ा झटका! जानें पूरा सच

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शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा ने दिया सास-ससुर को बड़ा झटका! जानें पूरा सच

राष्ट्रपति ने दिया कीर्ति चक्र, मगर सास-ससुर का दर्द अनकहा

देश के लिए शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह का नाम अब हर भारतीय की जुबां पर है। 5 जुलाई 2024 को, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मरणोपरांत कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा, स्मृति सिंह, को कीर्ति चक्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर पूरा देश भावुक हो गया। यह सम्मान स्मृति सिंह और शहीद कैप्टन की मां, मंजू देवी ने ग्रहण किया। मगर, इस सम्मान के पीछे शहीद के माता-पिता का बड़ा दुख छुपा हुआ है, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह गया है।

सास-ससुर का दर्द: बहू से मिली तकलीफ

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता के दर्द की कहानी किसी के भी दिल को छू जाएगी। उनकी तकलीफ की वजह और कोई नहीं, बल्कि उनकी अपनी बहू स्मृति सिंह हैं। शहीद कैप्टन की विधवा अब अपने सास-ससुर को छोड़कर जा चुकी हैं। वह न केवल उन्हें छोड़कर गईं, बल्कि अपने पति के माता-पिता के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा, जिससे वे अपने बेटे के गम को कम कर सकें।

शहीद कैप्टन के पिता का दर्द: सिर्फ बेटे की तस्वीर बची

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता, रवि प्रताप सिंह, का आरोप है कि उनके बेटे के शहीद होने के बाद, उनकी बहू सब कुछ लेकर चली गई। अब उनके पास सिर्फ बेटे की तस्वीर बची है। यहां तक कि कीर्ति चक्र का बैज भी अंशुमान की तस्वीर पर लगाने के लिए नहीं मिला।

सियाचिन में शहीद हुआ बेटा

बीते साल 19 जुलाई को सियाचिन में अपनी यूनिट के साथियों को बचाते हुए कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद से शहीद के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। शहीद के पिता, रवि प्रताप सिंह, का कहना है कि उन्हें सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बहू ऐसा कर सकती है।

बहू पर ससुर के सवाल

शहीद कैप्टन के पिता ने बताया कि 18 तारीख को उनकी अंशुमान से कुछ मिनट की बात हुई थी। 19 तारीख को घटना हुई और उनका बेटा शहीद हो गया। उन्होंने कहा कि 1 फरवरी को शांति पूजा कराई गई, जिसमें भी बहू नहीं आई। जब भी हम फोन करते हैं, तो परिवार के लोग उठाते हैं। बीते 26 जनवरी को जब उनके बेटे को सम्मान देने की बात हुई, तब ही उनकी बहू से बात हो सकी। हर बार फोन करने पर वही जवाब मिलता है कि अभी बेटी को संभालने के लिए थोड़ा समय दीजिए।

ये कैसा गम: शहीद के पिता का आरोप

कैप्टन के पिता ने आगे बताया कि घर से जाने के 10 दिन बाद, उनकी बहू एक स्कूल में पढ़ाने लगी। उन्होंने सवाल उठाया कि जिसकी मनोस्थिति ठीक नहीं होगी, वह किसी स्कूल में पढ़ा कैसे सकती है। शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने अपने बेटे के ससुराल वालों पर भी बड़ा आरोप लगाया कि शायद सब कुछ उनके इशारे पर हो रहा है। शहीद के पिता ने कहा कि उनका बेटा अपनी बहू से बहुत प्यार करता था। दोनों की शादी को सिर्फ तीन महीने ही हुए थे।

शहीद की विधवा ने दिखाया सास-ससुर को ठेंगा

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की मां ने कहा कि उनकी बहू नोएडा वाले मकान में रहती थी। जब उनकी बेटी घर से गई, तो पता चला कि बहू अपना सारा सामान पैक करके चली गई। इस दौरान उन्होंने घर पर पूजा करने की भी बात बताई, लेकिन वह पूजा में भी नहीं आई। अब बेटा भी चला गया और बहू भी। शहीद के माता-पिता का कहना है कि बेटे के शहीद होने के बाद उन्हें कुछ भी नहीं मिला। सम्मान और अनुग्रह राशि दोनों बहू लेकर चली गई।

सेना की प्रक्रिया पर उठाए सवाल

शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि सेना की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत शहीद के निकटतम परिजन को मुआवजा मिलता है। इसका बड़ा हिस्सा उनकी बहू को मिला और अब पेंशन भी उसे ही मिलेगी। इंश्योरेंस में दोनों को बराबर मिला। उत्तर प्रदेश सरकार से 35 लाख उनकी बहू को मिले और 15 लाख उन्हें। मां ने कहा कि अब उनकी बहू कह रही है कि पैसा हमें सरकार से मिल रहा है। शहीद कैप्टन के पिता का कहना है कि सरकार और सेना दोनों को इस प्रक्रिया पर विचार करना चाहिए।

राहुल गांधी से मिले शहीद के पिता

शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाया। राहुल गांधी ने उन्हें भरोसा दिया कि वे इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात करेंगे और जो संभव हो सकेगा, करने की कोशिश करेंगे।

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता के इस दर्दनाक कहानी ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। उनकी बहू का यह कदम किसी के भी दिल को दुखी कर सकता है। अब देखना है कि सरकार और सेना इस पर क्या कदम उठाती है।