December 23, 2024

डिप्टी स्पीकर

राहुल गांधी के फैसले का वक्त: रायबरेली या वायनाड, कौन सी सीट छोड़ेंगे?

राहुल गांधी के फैसले का वक्त: रायबरेली या वायनाड, कौन सी सीट छोड़ेंगे?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए एक महत्वपूर्ण घड़ी आ गई है। उनके पास अब केवल कल का दिन बचा है। राहुल गांधी को रायबरेली और वायनाड में से एक सीट को चुनना होगा। राहुल गांधी दोनों सीटों से जीते हैं, जहां उन्होंने रायबरेली से 3 लाख 90 हजार और वायनाड से 3 लाख 64 हजार वोटों से विजय प्राप्त की है। नियमों के अनुसार, उन्हें इनमें से एक सीट छोड़नी पड़ेगी। 

चुनाव परिणाम आने के 14 दिनों के भीतर यह फैसला करना आवश्यक है, नहीं तो दोनों सीटें रिक्त मानी जाएंगी। यानी राहुल गांधी को 18 जून तक रायबरेली या वायनाड में से एक सीट पर से इस्तीफा देना होगा। किसी सदस्य को इस्तीफा देना हो तो उसे लोकसभा अध्यक्ष को लिखित रूप में देना होगा। किसी सदस्य के इस्तीफे के बाद 6 महीने के अंदर उस सीट पर उपचुनाव कराना होगा।

क्या राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ेंगे और प्रियंका गांधी लड़ेंगी चुनाव?

राहुल गांधी के ऑफिस ने इस मामले में सारी जानकारी लोकसभा सचिवालय से ले ली है। लोकसभा के महासचिव इस्तीफा स्वीकार करने के बाद उसे लोकसभा के बुलेटिन या गजट में प्रकाशित करेंगे और उसकी एक कॉपी चुनाव आयोग को भेजी जाएगी।

 इसके बाद चुनाव आयोग उस सीट को रिक्त मानते हुए वहां चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा। खबरें यह भी हैं कि राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ सकते हैं और वहां होने वाले उपचुनाव में प्रियंका गांधी के नाम की अटकलें चल रही हैं, हालांकि वह वहां से चुनाव लड़ेंगी या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है।

गांधी परिवार की पारंपरिक सीट: रायबरेली

राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट का महत्व अलग है। यह गांधी परिवार की पारंपरिक सीट है। आखिरी बार इस सीट का प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी ने किया था। अब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ीं बल्कि राज्यसभा सदस्य बन गईं। रायबरेली से जीत हासिल करने का मतलब केवल एक सीट पर जीत नहीं है, बल्कि यह गांधी परिवार की एक धरोहर की तरह है जिसे छोड़ना राहुल गांधी के लिए एक कठिन निर्णय होगा।

राहुल गांधी ने कहा था – “दुविधा में हूं कि कौन सी सीट छोड़ूं”

राहुल गांधी ने अपने मतदाताओं का आभार जताते हुए कहा था कि वह दुविधा में हैं कि कौन सी सीट रखें और कौन सी छोड़ें। लेकिन जो भी फैसला लेंगे, उससे सभी को खुशी होगी। उनके इस बयान के बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगीं कि वह वायनाड सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनाव लड़वा सकते हैं। उनकी इस बात पर कलपेट्टा की जनसभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरन ने मुहर लगाई थी कि राहुल गांधी पार्टी के हित में वायनाड सीट खाली करेंगे।

राजनीतिक रणनीति और चुनावी समीकरण

यह फैसला केवल एक सीट छोड़ने का नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक रणनीति और चुनावी समीकरण भी शामिल हैं। रायबरेली सीट को छोड़ने का मतलब होगा गांधी परिवार की एक महत्वपूर्ण सीट को छोड़ना, जो पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का हो सकता है। वहीं, वायनाड सीट से इस्तीफा देने का मतलब होगा प्रियंका गांधी के लिए एक नई राजनीतिक पारी की शुरुआत।

लोकसभा सचिवालय और चुनाव आयोग की प्रक्रिया

राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद लोकसभा के महासचिव उसे स्वीकार करेंगे और उसे लोकसभा के बुलेटिन या गजट में प्रकाशित करेंगे। इसकी एक कॉपी चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। चुनाव आयोग उस सीट को रिक्त मानते हुए वहां चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा। किसी भी सीट पर उपचुनाव कराने का प्रावधान 6 महीने के भीतर है।

प्रियंका गांधी का भविष्य

अगर राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ते हैं और प्रियंका गांधी वहां से चुनाव लड़ती हैं, तो यह कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे पार्टी को दक्षिण भारत में एक मजबूत पकड़ मिल सकती है और प्रियंका गांधी की राजनीतिक भूमिका को भी मजबूती मिलेगी।

राहुल गांधी का निर्णय: एक ऐतिहासिक पल

राहुल गांधी के लिए यह फैसला केवल एक सीट छोड़ने का नहीं है, बल्कि यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह रायबरेली को चुनते हैं या वायनाड को। दोनों ही सीटें उनकी राजनीतिक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और यह निर्णय उनके और कांग्रेस पार्टी के भविष्य को प्रभावित करेगा।

निष्कर्ष

राहुल गांधी के लिए यह एक कठिन समय है। उन्हें रायबरेली और वायनाड में से एक सीट को छोड़ना होगा। गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रायबरेली का महत्व और वायनाड में प्रियंका गांधी की संभावित भूमिका को ध्यान में रखते हुए, यह देखना होगा कि राहुल गांधी क्या निर्णय लेते हैं। चाहे जो भी हो, यह फैसला कांग्रेस पार्टी की रणनीति और आगामी चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।