December 23, 2024

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तीसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार के बाद गोरखपुर पहुंचे मोहन भागवत: योगी से मुलाकात के पहले भाजपा को दी कड़ी नसीहत

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तीसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार के बाद गोरखपुर पहुंचे मोहन भागवत: योगी से मुलाकात के पहले भाजपा को दी कड़ी नसीहत

भाजपा की बड़ी हार के बाद मोहन भागवत की उत्तर प्रदेश यात्रा

केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी सरकार बनने के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत गोरखपुर पहुंचे हैं। वह वहां 16 जून तक रहेंगे। इस दौरान आज उनकी मुलाकात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हो सकती है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली करारी हार के बाद यह संभावित मुलाकात काफी महत्वपूर्ण (significant) मानी जा रही है। इससे पहले भागवत ने सोमवार को नागपुर से भाजपा का नाम लिए बिना उसे कड़ा संदेश (strong message) दिया था। इस दौरान उन्होंने मणिपुर का मामला भी उठाया था। इसे भागवत की भाजपा को नसीहत (advice) के तौर पर देखा गया था। काफी दिनों बाद मोहन भागवत ने खरी-खरी बात की थी।

नागपुर से नसीहत देने के बाद संघ प्रमुख बुधवार दोपहर को गोरखपुर पहुंचे। वे वहां कार्यकर्ता विकास वर्ग कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए पहुंचे हैं। अलग-अलग आयुवर्ग के कार्यकर्ताओं के लिए दो अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। तीन जून से शुरू हुए ये कार्यक्रम 23 जून तक चलेंगे। इस दौरान भागवत का किसी सार्वजनिक कार्यक्रम (public event) में भाग लेने का कार्यक्रम नहीं है। प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दो दिनों में संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी भी शामिल हो सकते हैं।

योगी-भागवत की मुलाकात: भाजपा के लिए महत्वपूर्ण क्षण (crucial moment)

भागवत की शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हो सकती है। इन दोनों नेताओं की मुलाकात लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में भाजपा के प्रदर्शन को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस दौरान लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन और उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर भी चर्चा हो सकती है। नागपुर से निकली नसीहत के बाद से भागवत और योगी की यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर तब जब यूपी में लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त (defeat) खानी पड़ी है।

उत्तर प्रदेश ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा को सबसे अधिक ताकत दी थी। साल 2014 के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगियों ने प्रदेश की 80 में से 73 सीटों पर कब्जा जमाया था। वहीं 2019 के चुनाव में यह संख्या घटकर 64 रह गई थी। लेकिन इस महीने हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश में 33 सीटों पर सिमट कर रह गई। इस हार का असर यह हुआ कि भाजपा लोकसभा में अपना बहुमत (majority) नहीं जुटा पाई। उसे अब एनडीए के सहयोगी दलों के समर्थन से अपनी सरकार बनानी पड़ी है।

पूर्वांचल में भाजपा का गढ़: अब विपक्ष का किला (stronghold)

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस इलाके में 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था, लेकिन 2024 का परिणाम विपक्ष के लिए बहुत शानदार (remarkable) रहा। भाजपा को करारी हार का सामना पूर्वांचल के इलाके में करना पड़ा।

भागवत ने कहा, ”राम सबके साथ न्याय करते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए। जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अंहकार आ गया। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया, लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी।”

इंद्रेश कुमार ने भी साधा निशाना

नागपुर में भागवत की नसीहत के बाद आरएसएस के एक अन्य नेता इंद्रेश कुमार ने भी गुरुवार को भाजपा पर निशाना साध दिया। इंद्रेश कुमार के इस बयान को भी भाजपा पर कटाक्ष (criticism) माना जा रहा है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई कि भाजपा और आरएसएस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अंग्रेजी अखबार ‘The Indian Express’ से नड्डा ने कहा था कि पहले भाजपा को आरएसएस की जरूरत थी, लेकिन आज भाजपा सक्षम है। आज पार्टी खुद को चला रही है। नड्डा ने कहा था, ”शुरू में हम अक्षम होंगे। थोड़ा कम होंगे। तब संघ की जरूरत पड़ती थी। आज हम बढ़ गए हैं और सक्षम हैं तो भाजपा अपने आप को चलाती है।” नड्डा से आज की भाजपा और अटल बिहारी वाजपेयी के समय के बीच भाजपा और आरएसएस के रिश्तों को लेकर सवाल किया गया था।

भाजपा के लिए आगे की राह: भागवत की सीख (lesson)

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की यह नसीहत भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। पार्टी को अपनी नीतियों और कार्यशैली में बदलाव (change) करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की हार से बचा जा सके। भागवत के इस संदेश से स्पष्ट है कि आरएसएस अब भी भाजपा की राजनीतिक दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और पार्टी को यह समझना होगा कि संघ के साथ तालमेल बनाए रखना क्यों जरूरी है।

आरएसएस और भाजपा के बीच संबंधों की ताजगी (freshness) और उनके समन्वय (coordination) की महत्वपूर्णता को समझना अब पार्टी के लिए और भी जरूरी हो गया है, खासकर तब जब भाजपा को उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में हार का सामना करना पड़ा है।

इस संदर्भ में मोहन भागवत की उत्तर प्रदेश यात्रा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ संभावित मुलाकात को एक महत्वपूर्ण मोड़ (turning point) के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में भाजपा की रणनीति और राजनीतिक समीकरणों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।