December 23, 2024

जगन्नाथ मंदिर

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के रहस्य: 46 साल बाद खुला खजाना

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जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के रहस्य: 46 साल बाद खुला खजाना

क्या सच में सांप करते हैं रत्न भंडार की रक्षा?

ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर कई रहस्यमयी कहानियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस खजाने की रक्षा भगवान स्वयं करते हैं, तो कुछ का कहना है कि यहां नाग देवता 24 घंटे तैनात रहते हैं। हालांकि, इन कहानियों की प्रमाणिकता अभी तक साबित नहीं हो पाई है। 12वीं सदी के इस प्राचीन मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद रविवार दोपहर को पुनः खोला गया, जिसने लोगों के बीच नई उत्सुकता जगा दी कि आखिर इस खजाने में क्या-क्या छुपा हुआ है और क्या सच में वहां सांप हैं?

शुभ मुहूर्त में खोले गए रत्न भंडार के द्वार

Jewellery और मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत के उद्देश्य से रत्न भंडार को खोला गया। इससे पहले इसे 1978 में खोला गया था। मंदिर खोलने के लिए बनाई गई समिति के सदस्य, राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्य, रविवार को दोपहर 12 बजे मंदिर में प्रवेश किए और अनुष्ठान करने के बाद रत्न भंडार को दोपहर 1:28 बजे शुभ मुहूर्त पर पुनः खोला गया। हालांकि, रत्न भंडार की वस्तुओं की सूची बनाने का काम रविवार को नहीं शुरू हो पाया और इसमें समय लगेगा।

राजनीतिक मुद्दा बना रत्न भंडार

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार को खोलना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना। BJP ने तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) पर इसकी खोई हुई चाबियों को लेकर निशाना साधा था और लोगों से वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीतती है, तो रत्न भंडार को फिर से खोलने का प्रयास करेगी।

बुलाया गया था सांप पकड़ने वाला, लेकिन…

समिति से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रत्न भंडार को खोलने के लिए Standard Operating Procedure (SOP) तैयार की गई थी। इसमें तीन SOP शामिल थीं – रत्न भंडार को फिर से खोलना, अस्थायी रत्न भंडार का प्रबंधन और कीमती सामान की सूची बनाना। अधिकारी ने बताया कि सरकार ने रत्न भंडार में मौजूद बहुमूल्य वस्तुओं की डिजिटल सूची तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसमें उनके वजन और निर्माण आदि का विवरण दिया जाएगा। आशंका थी कि खजाने के अंदर सांप हो सकते हैं, इसलिए सांप पकड़ने वालों को बुलाया गया था, लेकिन वहां कोई सांप नहीं मिला।

रत्न भंडार खोलते समय 11 लोग रहे मौजूद

ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा Social Media मंच ‘X’ पर एक पोस्ट में बताया गया कि भगवान जगन्नाथ की इच्छा से उड़िया समुदाय ने ‘उड़िया अस्मिता’ की पहचान के साथ आगे बढ़ने की कोशिशें शुरू की हैं। रत्न भंडार खोलने के समय 11 लोग मौजूद थे, जिनमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे।

कीमती सामान को अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में स्थानांतरित किया गया

रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोलकर वहां रखे सभी Jewellery और कीमती सामान को मंदिर के अंदर अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद अधिकृत व्यक्ति खजाने के आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए, जहां तीन ताले थे। जिला प्रशासन के पास उपलब्ध चाबी से कोई भी ताला नहीं खोला जा सका, इसलिए मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए गए और फिर आंतरिक कक्ष में दाखिल हुआ गया।

सुन वेशा अनुष्ठान के बाद आभूषणों को किया जाएगा स्थानांतरित

पाधी ने कहा कि समिति ने कीमती सामान को आंतरिक कक्ष से तुरंत स्थानांतरित नहीं करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया बहुदा यात्रा और सुन वेशा अनुष्ठान के बाद पूरी की जाएगी। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमाएं वर्तमान में गुंडिचा मंदिर में हैं और उन्हें सोमवार को बहुदा यात्रा के दौरान 12वीं शताब्दी के मंदिर में वापस लाया जाएगा।

चाबियां पुरी के कलेक्टर को सौंपी गईं

बाहरी कक्ष से आभूषणों को स्थानांतरित करने के बाद अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम को बंद कर दिया गया है और चाबियां तीन अधिकृत व्यक्तियों को दे दी गई हैं। आंतरिक कक्ष के दरवाजों को सुरक्षित करने के लिए नए तालों का उपयोग किया गया और चाबियां पुरी के कलेक्टर को सौंप दी गईं। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई।

कीमती सामान को ले जाने के लिए तैयार की गईं लकड़ी की संदूकें

रत्न भंडार में रखे गए कीमती सामान को ले जाने के लिए लकड़ी के छह संदूक मंदिर में लाए गए हैं। इन संदूकों के अंदरूनी हिस्से में पीतल लगा हुआ है। एक अधिकारी ने बताया कि सागवान की लकड़ी से बनी ये संदूकें 4.5 फुट लंबी, 2.5 फुट ऊंची और 2.5 फुट चौड़ी हैं। मंदिर प्रशासन ने 12 जुलाई को ऐसी 15 संदूकें बनाने का आदेश दिया था, जिन्हें 48 घंटे की मेहनत के बाद तैयार किया गया।

इस प्रकार, 46 साल बाद रत्न भंडार का खुलना एक बड़ा ऐतिहासिक और रहस्यमयी घटना बन गया है। लोगों में उत्सुकता है कि आखिर इस खजाने में क्या-क्या छुपा हुआ है और क्या सच में वहां नाग देवता तैनात हैं। आने वाले दिनों में इस रहस्य का पर्दाफाश होने की उम्मीद है।