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चौंकाने वाला खुलासा! कोलकाता जूनियर डॉक्टर रेप-मर्डर केस में बड़ा ट्विस्ट
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद CBI ने खोले नए राज
सुबह का वक्त था। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र उस वक़्त कोलकाता जूनियर डॉक्टर केस की सील्ड स्टेटस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ रहे थे। सीबीआई द्वारा सौंपे गए इस सीलबंद लिफाफे में कुछ ऐसा था, जिसने पूरे देश की निगाहें इस रिपोर्ट पर टिका दीं। कई पन्नों की इस स्टेटस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद तीनों जस्टिस चुप रहे, क्योंकि यह रिपोर्ट बेहद गोपनीय थी और इसने कोलकाता की जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर केस से जुड़े कई बड़े राज़ खोले।
कोलकाता रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
कोर्ट रूम में दोनों तरफ से दर्जनों वकील मौजूद थे, लेकिन उन्हें सीबीआई की इस स्टेटस रिपोर्ट को पढ़ने का मौका नहीं मिला। कारण था कि जांच अभी भी चल रही थी और इस रिपोर्ट के खुलासे से जांच पर असर पड़ सकता था। सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से पूरा देश देख रहा था। लोग यह जानने के लिए बेताब थे कि सीबीआई ने पिछले दस दिनों में इस केस में क्या जांच की, और इस केस की सच्चाई क्या है। लेकिन स्टेटस रिपोर्ट की गोपनीयता ने इस उत्सुकता को बरकरार रखा।
CBI की जांच में बड़ा खुलासा: गैंगरेप नहीं, रेप का मामला
सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट में क्या है, यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन सूत्रों से जो जानकारी मिली है, वह बेहद चौंकाने वाली है। सूत्रों के अनुसार, आरजी कर अस्पताल की जूनियर डॉक्टर के साथ गैंगरेप नहीं, बल्कि रेप का मामला था। इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला एकमात्र आरोपी संजय रॉय था, जिसे 9 अगस्त को ही कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था और जो अब सीबीआई की कस्टडी में है।
सीसीटीवी फुटेज ने खोली पोल
सीसीटीवी फुटेज की जांच से साफ हो गया कि सेमिनार हॉल की तरफ जाने वाले कैमरों में सिर्फ एक ही संदिग्ध नजर आया था, और वह था संजय रॉय। इसके अलावा रात तीन से सुबह साढ़े पांच बजे तक सेमिनार हॉल की तरफ जाता कोई दूसरा संदिग्ध नहीं मिला। इस फुटेज ने सीबीआई की जांच को एक नई दिशा दी, और साबित किया कि संजय रॉय ही वह शख्स था, जो 40 मिनट से ज्यादा समय तक सेमिनार हॉल में मौजूद रहा। सेमिनार हॉल से बरामद ब्लूटूथ नेकबैंड और उसका कनेक्शन संजय रॉय के मोबाइल से जुड़ा होना इस केस का एक अहम सबूत बना।
पुलिस की भूमिका पर भी उठा सवाल
संजय रॉय ने 9 अगस्त को ही कोलकाता पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, और 14 अगस्त को सीबीआई हिरासत में भी उसने घटना की पूरी कहानी बयान कर दी थी। हालांकि, इसके बावजूद पुलिस और सीबीआई ठोस सबूतों की तलाश में जुटी रहीं। इस तलाश का अंत फॉरेंसिक रिपोर्ट पर हुआ, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि केस रेप का है, गैंगरेप का नहीं। फॉरेंसिक जांच में पीड़िता के प्राइवेट अंगों से संजय रॉय के अलावा किसी और का डीएनए प्रोफाइल नहीं मिला।
कोर्ट में उठे कई सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को अस्पताल प्रशासन द्वारा की गई देरी और लापरवाही पर भी कड़े सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा कि घटना वाले दिन कब डीडी एंट्री हुई, कब केस डायरी दर्ज की गई, और कब एफआईआर लिखी गई? पोस्टमार्टम कितने बजे हुआ और लाश को घर वालों को कब सौंपा गया? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डीडी एंट्री सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज की गई, जबकि एफआईआर रात साढ़े ग्यारह बजे लिखी गई। उन्होंने इस देरी को ‘परेशान करने वाली’ बताया।
पॉलिग्राफ टेस्ट से खुलेगा राज?
सीबीआई अब इस केस के और भी कई पहलुओं की जांच कर रही है। इस जांच में यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वारदात के बाद साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश की गई थी या नहीं। क्या जानबूझ कर एफआईआर में देरी की गई, और क्या अस्पताल के प्रिंसिपल ने मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की? सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष और चार अन्य डॉक्टरों के पॉलिग्राफ टेस्ट की अर्जी को कोलकाता के सियादह कोर्ट में दाखिल किया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।
सीबीआई की तफ्तीश में नए मोड़
सीबीआई ने डॉक्टर संदीप घोष और अन्य चार डॉक्टरों से पहले ही पूछताछ की है। इस पूछताछ में कई विरोधाभास सामने आए, जिससे सीबीआई को संदेह हुआ कि शायद केस से जुड़े लोग कुछ बातें छुपा रहे हैं। यही कारण है कि सीबीआई पॉलिग्राफ टेस्ट के जरिए उनके अंदर छिपे राज़ उगलवाना चाहती है।
संजय रॉय को बचाने की कोशिश?
सीबीआई इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है कि कहीं मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष ने जानबूझ कर सबूतों से छेड़छाड़ की तो नहीं की? कहीं यह सब संजय रॉय को बचाने की साजिश तो नहीं? यदि ऐसा है, तो सीबीआई जल्द ही रॉय और घोष के कनेक्शन को बेनकाब कर सकती है।
इस केस में आए नए मोड़ और चौंकाने वाले खुलासों ने एक बार फिर से पूरे देश का ध्यान इस ओर खींच लिया है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में क्या नया सामने आता है, और क्या दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।
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