December 23, 2024

घोटाले

करोड़ों के घोटाले में निलंबित अधिकारी गिरफ्तार: जाने कैसे हुआ बड़ा खुलासा

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करोड़ों के घोटाले में निलंबित अधिकारी गिरफ्तार: जाने कैसे हुआ बड़ा खुलासा

करोड़ों की खरीदी में फर्जी हितग्राही तैयार कर घोटाला

मछली पालन विभाग में सरकार की योजना के तहत फर्जी हितग्राही तैयार कर करोड़ों की खरीदी के मामले में निलंबित सहायक संचालक गीतांजलि गजभिए को गिरफ्तार कर लिया गया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार चल रही महिला अधिकारी को कल बिलासपुर से गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। सहायक संचालक गजभिए पर आरोप है कि उन्होंने सप्लायरों के साथ मिलकर सरकारी रकम का गबन किया है।

गबन की रकम सीधे फर्मों के खाते में

गजभिए ने हितग्राहियों की बजाए इस राशि को केज बेचने वाली तीन फर्मों के खाते में ट्रांसफर कर दिया था। पहले राजनांदगांव में पदस्थ रहीं सहायक संचालक गजभिए पर यह आरोप है कि उन्होंने फर्जी हितग्राहियों का नाम बनाकर करोड़ों की रकम को गलत तरीके से ट्रांसफर किया।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

इस घोटाले का पता तब चला जब संबंधित हितग्राहियों को केज का किराया जमा करने का नोटिस जारी किया गया। तहकीकात में पता चला कि ऐसा कई ग्रामीणों के साथ किया गया और उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी। जैसे ही यह खबर सामने आई, मामले की जांच शुरू हुई और लगभग सवा दो करोड़ की गड़बड़ी उजागर हुई। इस बीच, दोषी सहायक संचालक गीतांजलि गजभिए का तबादला धमतरी कर दिया गया।

FIR में शामिल नाम

इस घोटाले की जांच पूरी होने के बाद केज खरीदी में हुए फर्जीवाड़े के मामले में सहायक संचालक गजभिए के अलावा सप्लायर फर्म मेसर्स स्टार सप्लायर बिलासपुर, एसएस एक्वाकल्चर पथर्री फिंगेश्वर राजिम, और एसएस एक्वाफिड झांकी रायपुर के संचालकों को भी इस प्रकरण में आरोपी बनाया गया है। इन तीनों फर्म में ही हितग्राहियों को मिलने वाली सब्सिडी की राशि सीधे ट्रांसफर की गई थी। पुलिस का कहना है कि मामले में आगे और भी गिरफ्तारियां की जाएंगी और जांच जारी है।

विधानसभा सत्र से पहले निलंबन की कार्रवाई

जांच के बाद मछली पालन विभाग ने मामले में एफआईआर दर्ज कराते हुए पुलिस को जानकारी दी, मगर विभागीय तौर पर सहायक संचालक गजभिए के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। लेकिन जैसे ही विधानसभा के मानसून सत्र में इस मामले को लेकर सवाल उठा, आनन-फानन में गीतांजली गजभिए के निलंबन की कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई एफआईआर दर्ज होने के 15 दिनों बाद की गई, जबकि यह सब पहले हो जाना चाहिए था।

आगे की कार्रवाई

अब बारी है सप्लायरों के खिलाफ कार्रवाई की। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच जारी है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस बड़े घोटाले में शामिल सभी दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रशासन कड़ी मेहनत कर रहा है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

इस पूरे मामले ने सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। नागरिकों की मांग है कि ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही हितग्राहियों तक पहुंचे और देश में विकास की गति बनी रहे।

निष्कर्ष

इस घोटाले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी कितनी जरूरी है। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे मामलों की जांच में कोई कसर न छोड़े और दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए तत्पर रहे। केवल तभी हम एक भ्रष्टाचार-मुक्त और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकेंगे।