December 23, 2024

बागपत

उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024: बागपत सीट पर चौंकाने वाला नतीजा, छपरौली गांव में टूटा रालोद का किला!

उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024: बागपत सीट पर चौंकाने वाला नतीजा, छपरौली गांव में टूटा रालोद का किला!

उत्तर प्रदेश में इस बार लोकसभा चुनाव कई मायनों में अलग रहा। कई सीटों पर ऐसे नतीजे सामने आए जिन्होंने तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया। इनमें सबसे चौंकाने वाला नतीजा बागपत सीट पर देखने को मिला, जहां एनडीए की ओर से राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राजकुमार सांगवान और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अमरपाल आमने-सामने थे।

बागपत सीट पर राजकुमार सांगवान की बड़ी जीत

बागपत सीट पर राजकुमार सांगवान ने समाजवादी पार्टी (SP) के अमरपाल को डेढ़ लाख वोटों से ज्यादा के अंतर से हरा दिया। यह जीत रालोद के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, लेकिन इस जीत के बावजूद रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के लिए एक चिंता की बात उभर कर आई। यह चिंता छपरौली गांव से संबंधित है, जो रालोद का गढ़ माना जाता है और जहां से जयंत चौधरी को चौधराहट की पगड़ी बांधी गई थी।

छपरौली गांव में समाजवादी पार्टी का उभार

जाट बहुल छपरौली गांव में रालोद को हमेशा से भारी समर्थन मिलता रहा है। इस बार भी रालोद को वोट मिले, लेकिन समाजवादी पार्टी के पक्ष में भी जमकर वोटिंग हुई। आंकड़ों के मुताबिक, छपरौली कस्बे में रालोद को 3913 वोट मिले, जो कुल 57.50 प्रतिशत था। वहीं, दूसरे नंबर पर सपा रही, जिसे 2345 वोट मिले। बसपा को मात्र 399 वोट मिले, जो 5.86 प्रतिशत था।

चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि पर सपा की सेंध

छपरौली कस्बा वही जगह है जहां चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद जयंत चौधरी को चौधराहट की पगड़ी बांधी गई थी। यह गांव चौधरी चरण सिंह और उनके बेटे व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह की कर्मभूमि रहा है। माना जाता है कि इस गांव के लोगों ने कभी रालोद का साथ नहीं छोड़ा, तो इस बार सपा कैसे इन वोटों में सेंध लगाने में कामयाब रही? यह सवाल कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक पहेली बना हुआ है।

दूसरे गांवों में रालोद का दबदबा

हालांकि, बागपत के दूसरे गांवों की बात करें तो वहां रालोद उम्मीदवार के पक्ष में वोटों की जमकर बारिश हुई। रालोद के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष धीरज उज्जवल के हजूराबाद गढ़ी गांव में रालोद को एकतरफा 608 वोट मिले, जबकि बसपा को 93 और सपा को केवल 27 वोट ही मिले। इसी तरह काकौर गांव में रालोद को 998, सपा को 455 और बसपा को 70 वोट मिले।

चुनावी विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छपरौली में सपा के पक्ष में पड़े वोट इस बात का संकेत हैं कि ग्रामीण मतदाताओं का मनोविज्ञान बदल रहा है। कुछ का मानना है कि स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जयंत चौधरी के लिए यह एक संकेत है कि उन्हें अपने गढ़ में भी अधिक ध्यान देना होगा और लोगों की बदलती मानसिकता को समझना होगा।

छपरौली में रालोद का भविष्य

छपरौली में सपा के समर्थन में वृद्धि रालोद के लिए एक चेतावनी हो सकती है। जयंत चौधरी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि रालोद के समर्थक पार्टी के साथ बने रहें। इसके लिए उन्हें न केवल चुनावी समय पर बल्कि पूरे कार्यकाल के दौरान गांव के लोगों से संपर्क में रहना होगा और उनके मुद्दों को हल करना होगा।

रालोद की भविष्य की रणनीति

रालोद को अपने गढ़ को मजबूत करने के लिए विशेष रणनीतियों पर काम करना होगा। उन्हें जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना होगा और गांव के प्रमुख नेताओं के साथ संवाद स्थापित करना होगा। जयंत चौधरी को भी अधिक समय गांवों में बिताना होगा और लोगों की समस्याओं को समझकर उन्हें हल करने का प्रयास करना होगा।

समाजवादी पार्टी की रणनीति

समाजवादी पार्टी ने छपरौली में जिस तरह से वोट प्राप्त किए हैं, वह उनके लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। उन्हें इस समर्थन को बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतियों को और भी मजबूत करना होगा। स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखना और ग्रामीण इलाकों में अपनी पहुंच बढ़ाना उनके लिए महत्वपूर्ण होगा।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे कई मायनों में चौंकाने वाले रहे। बागपत सीट पर राजकुमार सांगवान की जीत जहां रालोद के लिए खुशी का कारण बनी, वहीं छपरौली में सपा के पक्ष में पड़े वोटों ने जयंत चौधरी के लिए एक नई चुनौती पेश की है। आने वाले समय में रालोद और सपा दोनों को ही अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करना होगा और ग्रामीण मतदाताओं के मनोविज्ञान को समझकर ही आगे बढ़ना होगा।

यह चुनावी नतीजे बताते हैं कि राजनीति में किसी भी चीज को स्थिर नहीं माना जा सकता और हर चुनाव नए समीकरण और नई चुनौतियाँ लेकर आता है।